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आप आशावादी है या निराशावादी?

आप आशावादी है या निराशावादी?

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"आशावादी हर संकट मेें भी अवसर देखता है और निराशावादी उस संकट में भी बहाने देखता हैं।"

अस्तित्त्व और आशावादिता न केवल अर्थ है, बल्कि सफलता का एक महत्त्वपूर्ण आधार भी हैं। यह उस अभिप्राय को प्रकट करता है जिसमें सम्पूर्ण विश्व को सकारात्मक आंखों से प्रत्यक्ष रुप में देखा जा सकें। इसके द्वारा मर्यादित सीमा पर एकत्रित हुए विचित्रपूर्ण परिवर्तन ही हमारे जीवन जीने की शैली को भी प्रकट करते हैं। हम आशावादितापूर्ण सकारात्मक सोच से लक्ष्य के साथ जीवन जीने की सुदृढता को भी निर्धारित कर सकते हैं।

आशावादिता जीवन जीने की शैली की सकारात्मक सोच में

हम कभी गुणगान नहीं करते है अच्छे दिन और अच्छे महिनों का। पर हम कभी नहीं भूलते है खराब क्षण, मिनट, दिन, सालो को। हमे चाहिए की हम माने की कोई बात नहीं प्रत्येक दिन अच्छा नहीं होता हे पर वह बहुत कुछ अच्छा होता है अन्य दिन से। आनंद से प्रसन्न रहना, आशावादिता पूर्ण विचारों से युक्त रहना जिन्दगी का बंसत है, हर बात में दुःखी रहना, परिस्थितियों पर दूसरो के सामने रोना जिन्दगी का अंत है। सुख दुःख जीवन में सदैव पीछे चलेंगे परन्तु दुःखों को अपने ऊपर कभी हावी मत होने दो। 

अधिकांशतय नकारात्मक व्यक्ति सदैव अपने दुःखों की सार सामग्री एकत्रीत करके रखते है, मन में एक अनिश्चित, अघटीत घटना की नकारात्मक विचारों के साथ कपोल कल्पना बना कर असामयिक ही भयभीत रहते है, और उन्हें ही सोचकर लगातार रोते और शोक मनाते हैं। ऐसे व्यक्ति सदैव नकारात्मक विचारों से ही गिरे रहते हे और कमजोर विचार शक्ति वाले व्यक्ति को भी पूर्ण नकारात्मक विचारों से भर देते हैं। 

परिणाम स्वरुप अमुक व्यक्ति भी उस नकारात्मक व्यक्ति के समान अपनी जीवन जीने की शैली को वैसे ही परिवर्तित करने लगते हैं। और वह स्वयं नकारात्मक हो जाते हैं। जो सही नही हैं। वास्तव में जिन्दगी उसी की होती है जो सकारात्मक सोच के साथ चिन्ता, दुःख होने पर भी हंसकर खुशी मनाते हे और हर सत्यता को वास्तविक धरातल पर स्वीकार करते हैं।

आशावादितापूर्ण विचारों से उत्कृष्ट कार्यशैली निर्धारण

हमें हमारे जीवन में कोई भी हाथ पकड़कर नहीं सिखाएगा, हमे स्वयं को चलना हैं। हम स्वयं ही आशावादितापूर्ण विचारों से अपने जीवन में प्रेरणा भर कर ही सीखेगें। यदि हम एक विकलांग व्यक्ति को देखते है तो कुछ सोचते हैं। पर एक बार रुके और सोचे तो शरीर से अपंग हो जाना दुर्भाग्य नही हैं। परन्तु दुर्भाग्य वहीं है जो विचार हमारे मन को, अपंग व कमजोर बनाते हैं। उन विचारों को बिल्कुल मत अपनाओं जो तुम्हें अंधेरे में ले जाए, ब्लकि उन विचारों को स्वीकृत करों जो तुम्हें अंधेरे से उजाले की और गमन करवाएँ। आशावादिपूर्ण विचारों से युक्त होकर अपने आप को सूर्य के समान तेजस्वी, जाग्रतायुक्त, प्रफुल्लता पूर्ण बनाओं। सूर्य को खुली आंखों से देखने पर आंखे सिकुड़ जाती है, वैसे ही तुम जहाँ भी खड़े रहों लोग तुम्हारा अनुसरण करें, न की तुम लोगों का।

आशावादितापूर्ण विचारों से सुदृढ सही निर्णय लेवें ।

जब हम जीवन में कुछ भी नहीं सोच पाने एवं निर्णय नहीं लेने की स्थिति में हो तथा जीवन के विकास क्रम से एक कदम पीछे हट रहे हो, उसी समय कुछ पल ठहरों ,सोचो, और समझो शांत मन से। हम कहाँ पर और क्यों रुके ? उठो ! पुनः स्फूर्ति के साथ। एक मजबुत मानसिक स्थिति के साथ। एक सुदृढ कदमों के साथ। एक मजबुत आधार के साथ। एक आधार युक्त सत्यपूर्ण एवं सुदृढ लक्ष्य के साथ। अपने स्वयं के हाथो को आगे करो स्वयं के साथ। खींच कर पुनः वर्तमान में आओं। सुनहरे भविष्य का निर्धारण स्वयं करो। पुनः स्वयं को तैयार करों। हम स्वयं अपने विचारों में घुमें और उन सब विचारों कों हटाएँ जो हमारी सफलता एवं विकास के लिए बाधक थे। हमे चाहिए की हम अपने जीवन के प्रत्येक निराशावादी पूर्ण, नकारात्मक विचारों को, गलत क्षणों को पूर्णतया भूले। किसी भी एक चीज को पाने के लिए दस तरह के प्रयास करें। गलत व अनावश्यक याददाश्त जो हमारा हाथ खींच कर पीछे हटा रही है उसे मन मस्तिष्क से पूर्ण समाप्त करे, और प्रत्येक अच्छे विचारों को स्वयं के मन मस्तिष्क के खांचे में स्वीकृत करते हुए स्थापित करें। सुदृढ सही निर्णय लेवें।

समस्या का समाधान सकारात्मक कल्पना से

किसी भी समस्या का समाधान उस पर चिन्तन कर हल ढूंढने से है न कि उस समस्या से भागने, उसे ढकने या छिपाने से नहीं, जब भी कोई समस्या हमारे दिमाग में घुमने लगे उस समय क्षण भर रूके, आँखे बन्द करके शान्ति पूर्ण तरिके से एक परिपूर्ण सकारात्मक कल्पना करें। भूतकाल की अशुभ घटनाओं को भुलकर वर्तमान में जीते हुए एक सुदृढ़ आशावादिता से युक्त भविष्य का निर्धारण करें। बहती हुई शीतल हवा से,घाटियों कि सुंदर हरियाली से, उगते, चमकते सुरज से,शान्त बहती नदी से, ऊंचे आकाश में ,उड़ते पक्षियों के लम्बे पंखो से, पूर्ण सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करें। शान्त स्थानों पर निहित सकारात्मक ऊर्जा की तरंगे, श्रेष्ठ विचारों के माध्यम से हमारे मन मस्तिष्क में समाहित हो जाएगी। जीवन की हर समस्या स्वतः हल हो जाएगी। यहीं विचारों की शक्ति ही अगली बार समस्या से गिरने पर हमें उसे दूर करने के लिए प्रेरित करेगी।

प्रकृति से सकारात्मकता सीखेें

फिर भी नकारात्मकता महसुस होती है तो कुछ बीज ले। सुंदर फूलों के। जमीन खोदे। पानी सींचें । बीज ड़ाले। जब तक उस पौधे की सार संभाल करें, जब तक की वह पौधा बडा न हो जाए। प्रकृति में उन बीजों से उत्पन्न, पौधों पर खीलें सुंदर खुश्बु से युक्त फूलों को देंखे। यहीं ऊर्जां हमारे जीवन की गतिशीलता पूर्ण, सकारात्मकता को प्रकट करके हमें भरपुर आशावादिता से भर देगी। और हमे स्वयं के भीतर बहुत शान्ति और विश्राम की प्राप्ति होगी।

यदि हम आशावादिता के साथ कठोर परिश्रम मिश्रित करके नकारात्मक व्यक्तियों एवं उनके नकारात्मक विचारो से दूरी बनाते हुए स्वयं पर पूर्ण विश्वास रखेंगे तो हम जीवन की महान ऊँचाईयों को पा सकते है। यही आशावादिता हमारे जीवन की विलक्षण परिवर्तन की साक्षी रहेगी।  

आशावाद वह विश्वास है जो उपलब्धि की ओर ले जाता है. आशा और आत्मविश्वास के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता. – हेलेन केलर


Dr.Nitu  Soni

I am a Ph.D. in Sanskrit and passionate about writing. I have more than 11 years of experience in literature research and writing. Motivational writing, speaking, finding new stories are my main interest. I am also good at teaching and at social outreach.

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