सुंदरता किसी ब्रांडेड क्रिम की मोहताज नहीं हैं,
व्यक्ति की स्वयं की शख्सियत ही उसे खुबसूरत बनाने के लिए काफी है।
सुंदरता का कोई मापदंड जारी नहीं किया गया है। क्या हम एक रत्नजड़ित मुकुट पहनकर ब्यूटी क्वीन बन जाते हैं तो यह असली खुबसूरती है या फिर रात दिन मेहनत करके एक अच्छे ब्यूटी पार्लर को भरपूर मात्रा में पैसा देकर खुबसूरती पाते हैं तो वह असली सुंदरता हैं।
सुंदरता त्वचा के रंग की गहराई और बनावट नहीं है।
हम में से ही यह अधिकतर लोग कहते सुनते पाएं जायेंगे की अरे इनका रंग बहुत ही काला है, इनके बच्चे तो सांवले होंगे, अरे सांवला रंग उफ़... शादी में बहुत ही समस्या हो जाएगी। अरे क्या करते हो ? अपनी शारीरिक बनावट को तो सुधारों, इस तरह का शारीरिक बेढंगा स्वरूप सही नहीं लगता है। अरे देखो! इसके शरीर में विकृति है ,हे भगवान! यह विकृति इसे ही झेलनी थी,अब इसे कौन स्वीकारेगा, इसका तो जीवन खराब हो गया। अरे वह सौंदर्य प्रतियोगिता नहीं जीत पाई, क्योंकि वह बहुत ही ज्यादा सांवली थी। इन सब बातों में हम बुद्धि और ज्ञान लब्धि का पैमाना तो रखना ही भूल जाते हैं।
चमड़ी के रंग से मनुष्य मनुष्य को दंडित कर रहा है।
कभी कभी तो गौरा रंग होना ही चाहिए यह व्यक्ति के दिमाग में इस तरह बस जाता है कि परिणाम स्वरूप सांवले रंग वाला व्यक्ति इससे प्रभावित होकर अपने आत्मविश्वास में कमी महसूस करने लग जाता है।
आधुनिक होने के बाद भी हम निर्णय नहीं कर पाते हैं कि त्वचा का रंग, शारीरिक बनावट ही सुंदर होने का पैमाना है, यह हमारा विकसित होने के बाद का पिछड़ापन है कि हम दूसरा पैमाना तो बना ही नहीं पाएं हैं। शारीरिक बनावट,या शारीरिक विकृतियों से मनुष्य की सुंदरता निर्धारित करना निर्विवाद रूप से ग़लत है।
रंग, शारीरिक बनावट और शारीरिक विकृतियों को सुंदरता की कसौटी पर रखना उचित नहीं है,
जाहिर सी बात है कि सुंदरता का पैमाना आचार, विचार, चरित्र, व्यवहार, संस्कार होते हैं न की शारीरिक ढ़ांचा। यदि फिर भी हमारा सुंदरता को नापने का पैमाना रूप रंग बनावट है तो यह हमारा मानसिक विक विकार है। मन की यह भयानक स्थितियों को देखों चमड़ी के रंग से मनुष्य मनुष्य को दंडित कर हिन भावना से पीड़ित कर रहा है। सांवला रंग अभिशाप है या गौरा रंग वरदान है यह कहना भी इस दंड का समर्थन करना ही है।
अपने आपको सुधारते हुए स्वयं को इतना गुणों से निखारे की लोग गुणवत्ता से हमारा निर्धारण करें न की सुंदरता से।
दुनिया की कोई भी फेयरनेस क्रीम हमारा चेहरा नहीं चमका सकतीं, जो चेहरा हमारी मेहनत से चमकता है।
इसलिए तो हम कह सकते है कि
हां हम सुंदर है, हम जैसे भी है, सुंदर है...!!
सृष्टि के रचनाकार की सुंदरतम रचना हम ही हैं...!!
चाहें हम मोटे हैं, सांवले है, शारीरिक बनावट, विकार से युक्त है...!!
परन्तु अद्भुत फिर भी हम सृष्टि के सृजनकर्ता का सुंदर सृजन...!!
हम सुंदर है...!!