मैं सोच एक विशाल हूँ, दिल में उठा सवाल हूँ।
जवाब है तो आगे बढ़, कर खुद से खुद को रूबरु ।
चल दिया तू राह पर, ठिकाने की है ना खबर,
के इस गली से उस गली, भटक रहा तू दरबदर।
जो फूल तूने चाहे हैं, तो काँटो को भी आज़माँ,
जानने मंझिल का पता तू पहले खुद को जान जा।
मैं सोच एक विशाल हूँ, दिल में उठा सवाल हूँ।
जवाब है तो आगे बढ़, कर खुद से खुद को रूबरु ।
पैर हैं जमीन पर, ख्वाहिशों में आसमाँ,
तू आगे बढ़ कभी ना डर, और जीत ले ये जग जहाँ।
आएँगी थोड़ी मुश्किलें, कठोर आगे है डगर,
पर याद रख ए हिम्मती, तूने चुना था ये सफर।
मैं सोच एक विशाल हूँ, दिल में उठा सवाल हूँ।
जवाब है तो आगे बढ़, कर खुद से खुद को रूबरु ।
एक ही है जिंदगी, तू जाग जा तू कर्म कर,
हार जा भले ही तू, पर एक कोशिश और कर।
दिल में जो ज्वाला छुपी, उस पे एक विचार कर,
फिर जलने दे उस आग को, प्रयत्नों से तू वार कर।
मैं सोच एक विशाल हूँ, दिल में उठा सवाल हूँ।
जवाब है तो आगे बढ़, कर खुद से खुद को ररूबरु ।
Click here to download this poem as an image