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 घर की बुनियादें दीवारें बामों-दर थे बाबू जी...!!

 घर की बुनियादें दीवारें बामों-दर थे बाबू जी...!!

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वृद्धावस्था के सम्बन्ध में विलियम शेक्सपीयर ने अपनी एकांकी 'As you like it' में लिखा है कि यह जीवन की दूसरी ऐसी अवस्था है जिसमें मनुष्य एक बार पुन: बच्चा हो जाता है । जिसके अनुसार It is the second stage of man , man retires from active life. वृद्धावस्था जीवन की वह दूसरी अवस्था है जब मनुष्य अपने शरीर और मन की शक्तियों की क्षीणता के कारण जीवन के हर क्षेत्र में अपने को धीरे - धीरे अलग करने लगता है ।

सामान्य रूप से वृद्ध व्यक्ति का जीवन

जर जर पात से,अपनों की घात से

बेटे की उपेक्षा से,बँटवारे की समस्या से

बिखर जाता है, मानों बाबूजी वृद्धा आश्रम की गलियों में टूटी सी मित्रों की टोलियों में ही गुजर जाते हैं...

जैसा कि एक कवि की वृद्ध बाबूजी के सम्बन्ध में बहुत ही सुंदर कल्पना है,वह कल्पना जो आज नज़र नहीं आती है।

घर की बुनियादें दीवारें बामों-दर थे बाबू जी

सबको बाँधे रखने वाला ख़ास हुनर थे बाबू जी

तीन मुहल्लों में उन जैसी कद काठी का कोई न था

अच्छे ख़ासे ऊँचे पूरे क़द्दावर थे बाबू जी

अब तो उस सूने माथे पर कोरेपन की चादर है

अम्मा जी की सारी सजधज सब ज़ेवर थे बाबू जी

भीतर से ख़ालिस जज़बाती और ऊपर से ठेठ पिता

अलग अनूठा अनबूझा सा इक तेवर थे बाबू जी

कभी बड़ा सा हाथ खर्च थे कभी हथेली की सूजन

मेरे मन का आधा साहस आधा डर थे बाबू जी

अमरईया की छाँव से, पूरब के एक गाँव से

दरवाजे पर लटके ताले से,आँगन में लगे जाले से,सुरक्षा की मजबूत कड़ी के रूप में वह बाबूजी कहीं नजर नहीं आतें हैं।

जर जर पात से,अपनों की घात से मानों

टूट से गए है,बाबूजी...सोंधे शीतल बाबूजी,न जाने कहां खो से गए हैं बाबूजी।


Asha Soni

I am a science enthusiast and expert in science writing. I am also an expert in science teaching and communication. Innovation and new ideas are my favorite area. Nature thrills me and gives me more motivation to understand and think about science from a different perspective.

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