खून बहता जब दर्द मुझे ही होता है
ऊपर वाले ने बनाया ऐसा मुझे!
फिर अछूत कहने वाला ये समाज कौन होता है?
मैं हूँ वो जो दुनिया में एक ज़िन्दगी ला सकती हूँ
है हिम्मत मुझमे 9 महीने पेट और ज़िन्दगी भर दिल में उसे सम्हालती हूँ
मैं न होती, तो न राम न रहीम इस दुनिया में आ पाता है
दुनिया का मुस्तक़बिल लिखने वाला भी मेरी गोद के लिए ही रोता है
इस बहते खून के कारण तुम्हारा अस्तित्व दुनिया में आता है
मुझे फिर अछूत कहने वाला ये समाज कौन होता है?
रूढ़िवाद की बलि क्यों बेटियाँ चढ़ती है
पत्थर में गढ़ पूजा जिसकी हो उस नारी को समाज में उलाहना मिलती है
जब उसके पत्थर स्वरुप का मंदिर बना दुनिया पूजती है
फिर क्यों उस बेटी को वो "तब" नहीं छूती है
ये अजीब सा दोगला समाज देखने को मिलता है
मुझे अछूत कहने वाला ये समाज कौन होता है?
एक बार वो दर्द सह कर देखो
मेरी हिम्मत का अहसास तब तुम्हे हो पायेगा
तुम ही बताओ मेरे बिना क्या ये समाज आगे बढ़ पायेगा?
शक्ति हूँ मैं इस दर्द को सह कर भी आगे बढ़ती हूँ
अपने अस्तित्व के हिस्से को कबूल कर मैं अपने सपने गढ़ती हूँ
मुट्ठी भर है वो जो मेरी मुश्किलों को समझता है
मुझे अछूत कहने वाला ये समाज कौन होता है?