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खेल  शतरंज का

खेल शतरंज का

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चलो शतरंज आजमाते हैं

मुझे पता है कि तुम माहिर हो उसमे

तुम रानी बनना मैं प्यादे सा एक नन्हा परिंदा बनता हूं

तुम मनचाही दौड़ लगाना मै सफीने पे बैठता हूं


तुम बहती जाना मै समर्पण का इंतजार करूंगा 

तुम शय और मात के खेल में फसती जाना

मै किनारे से तेरा सदका करूंगा 

तुम नाव की धारा बनना

मै मांझी सा पतवार नचाऊंगा

मैं बेसहारों का सहारा बनूंगा 


तुम आड़े तिरछी दौड़ लगाना

मै छद्म परिंदा नन्हा सा 

तुम सहजादे की मल्लिका बन जाना

मै बिखर जाऊं कभी भी,

मै सीढ़ी धाल बनूंगा

तुम  कोसों बहती जाना

मै बंजारों सा साजर सजाऊंगा 


तुम कोष को में खिलती जाना

मै शून्य इकाई सा अंक बनूंगा

तुम खुली शीर्ष दरिया सी बहती जाना 

मैं केश केश में गजरे सा घुल जाऊंगा

तुम धरी धराई बाँसुरिया बन जाना

मै बिरजू सा मतवाला बन जाऊंगा


तुम बस जाना मछलियों के अवेगों

मै नागफनियों की पंखुड़ियां बन जाऊंगा

मैं खामोशियों का विषय बनूंगा 

तुम एक कविता सुनहरी बन जाना

मैं बेसुध गीत चुरा लूंगा

मैं बागियों का विस्तार करूंगा

तुम उसका एक परिंदा बन जाना

मैं आठों दौर लगाऊंगा ,


तुम मेरे हिस्से का एक हिस्सा ज़िंदा बन जाना

जब कभी भी रुखसत हो नाम मेरा 

तो सबकी नज़रों में तुम एक कहानी चुनिंदा बन  जाना

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Subham Rai

Personally, i am an engineer who tends towards literature love to write vivid streams of poetry/story

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