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जीवन की सबसे बड़ी  ग़लती वही होती है जिस ग़लती से  हम कुछ सीख नहीं पाते !

जीवन की सबसे बड़ी ग़लती वही होती है जिस ग़लती से हम कुछ सीख नहीं पाते !

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एक बेहतरीन जिंदगी जीने के लिए, यह स्वीकार करना जरुरी है,कि~

जो कुछ भी हमारे पास है,

वो ही सबसे अच्छा है..!!!

जीवन की सबसे बड़ी ग़लती वही होती है

जिस ग़लती से हम कुछ सीख नहीं पाते!

बाज पक्षी जिसे हम ईगल या शाहीन भी कहते है। जिस उम्र में बाकी परिंदों के बच्चे मात्र चहचहाना ही सीखते हैं, उस उम्र में एक बाज के नन्हे से बच्चे को मादा बाज अपने पंजे में दबोच कर सबसे ऊंचा उड़ जाती है। पक्षियों की दुनिया में ऐसी कठिन प्रशिक्षण किसी भी अन्य जीव-जंतु की नहीं होती। मादा बाज अपने चूजे को लेकर लगभग 12 Km ऊपर ले जाती है। जितने ऊपर अमूमन जहाज उड़ा करते हैं और वह दूरी तय करने में मादा बाज 7 से 9 मिनट का समय लेती है। यहां से शुरू होती है उस नन्हें चूजे की कठिन परीक्षा।

उसे अब यहां बताया जाएगा कि तू किस लिए पैदा हुआ है?

तेरी दुनिया क्या है?

तेरी ऊंचाई क्या है?

तेरा धर्म बहुत ऊंचा है

और फिर मादा बाज उसे अपने पंजों से छोड़ देती है।

धरती की ओर ऊपर से नीचे आते वक्त लगभग 1 Km उस चूजे को आभास ही नहीं होता कि उसके साथ क्या हो रहा है। 6 Km के अंतराल के आने के बाद उस चूजे के पंख जो कंजाइन से जकड़े होते है, वह खुलने लगते है। लगभग 8 Km आने के बाद उनके पंख पूरे खुल जाते है। यह जीवन का पहला दौर होता है जब बाज का बच्चा पंख फड़फड़ाता है। अब धरती से वह लगभग 1000 मीटर दूर है, लेकिन अभी वह उड़ना नहीं सीख पाया है।

अब धरती के बिल्कुल करीब आता है जहां से वह देख सकता है उसके स्वामित्व को। अब उसकी दूरी धरती से महज 700/800 मीटर होती है लेकिन उसका पंख अभी इतना मजबूत नहीं हुआ है की वो उड़ सके। धरती से लगभग 400/500 मीटर दूरी पर उसे अब लगता है कि उसके जीवन की शायद अंतिम यात्रा है। फिर अचानक से एक पंजा उसे आकर अपनी गिरफ्त मे लेता है और अपने पंखों के दरमियान समा लेता है। यह पंजा उसकी मां का होता है जो ठीक उसके उपर चिपक कर उड़ रही होती है और उसकी यह ट्रेनिंग निरंतर चलती रहती है जब तक कि वह उड़ना नहीं सीख जाता।

यह ट्रेनिंग एक कमांडो की तरह होती है। तब जाकर दुनिया को एक बाज़ मिलता है अपने से दस गुना अधिक वजनी प्राणी का भी शिकार करता है।

हिंदी में एक कहावत है... "बाज़ के बच्चे मुँडेर पर नही उड़ते।"

बेशक अपने बच्चों को अपने से चिपका कर रखिए पर... उसे दुनियां की मुश्किलों से रूबरू कराइए, उन्हें लड़ना सिखाइए। बिना आवश्यकता के भी संघर्ष करना सिखाइए।

जीवन की सबसे बड़ी ग़लती वही होती है जिस ग़लती से हम कुछ सीख नहीं पाते !


Dr.Nitu  Soni

I am a Ph.D. in Sanskrit and passionate about writing. I have more than 11 years of experience in literature research and writing. Motivational writing, speaking, finding new stories are my main interest. I am also good at teaching and at social outreach.

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