जो व्यक्ति मन से हार जाता है और थक कर बैठ जाता है, उसकी हार सदैव निश्चित रहती है। वही मन से दृढ़ संकल्प व्यक्ति तब तक हार नहीं मानता जब तक कि वह जीत नहीं जाता। इस जुनून को बनाए रखने के लिए जरूरी है, कि मनुष्य में कार्य के करने की ललक सदैव बनी रहे। जीवन संघर्षों की आड में हम जीवन की समस्याओं से सामना तो करते हैं, परन्तु कभी कभी हम उन समस्याओं से पलायन भी कर जाते हैं, जीवन हमेशा अपने सबसे अच्छे स्वरूप में आने से पहले किसी संकट का इंतजार करता है, कुछ समस्याएं ऐसी भी होती हैं, जिन्हें हम चाहकर आपस में मिल जुलकर हल भी कर सकते हैं।
"जीवन की अजीब विडंबना है…
जैसे प्यासे को पानी की एक एक बून्द की,
और भूखे को अन्न के एक एक दाने की कीमत का पता होता है
ठीक वैसे ही जिस इंसान के पास जो सुख नहीं होता,
वही उस सुख का सबसे बढ़िया वर्णन कर सकता है।
नरेन्द्र वर्मा की कविता की कुछ पंक्तियां जो हमें जीवन को हर समय व सहज बनाने के लिए प्रेरित करतीं हैं ।
सफर में धूप तो बहुत होगी तप सको तो चलो,
भीड़ तो बहुत होगी नई राह बना सको तो चलो।
माना कि मंजिल दूर है एक कदम बढ़ा सको तो चलो,
मुश्किल होगा सफर, भरोसा है खुद पर तो चलो।
हर पल हर दिन रंग बदल रही जिंदगी,
तुम अपना कोई नया रंग बना सको तो चलो।
राह में साथ नहीं मिलेगा अकेले चल सको तो चलो,
जिंदगी के कुछ मीठे लम्हे बुन सको तो चलो।
महफूज रास्तों की तलाश छोड़ दो धूप में तप सको तो चलो,
छोटी-छोटी खुशियों में जिंदगी ढूंढ सको तो चलो।
यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें,
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो।
तुम ढूंढ रहे हो अंधेरो में रोशनी, खुद रोशन कर सको तो चलो,
कहा रोक पायेगा रास्ता कोई जुनून बचा है तो चलो।
जलाकर खुद को रोशनी फैला सको तो चलो,
गम सह कर खुशियां बांट सको तो चलो।
खुद पर हंसकर दूसरों को हंसा सको तो चलो,
दूसरों को बदलने की चाह छोड़ कर, खुद बदल सको तो चलो।
– नरेंद्र वर्मा
किसी भी मनुष्य के अंदर जन्म से ही अनेकों खूबियां होती है, समय उन खूबियों को धीरे-धीरे बाहर निकालता है। प्रकृति से मनुष्य बहुत कुछ सीखता है।
"जिस प्रकार एक कोहरा मानव को सीख देता है – जब जीवन की ऐसी स्थिति में खड़े हो , जब आगे – पीछे , दूर तक कुछ दिखाई ना दे। ऐसी स्थिति में आप एक – एक कदम सोच समझ कर चले। जो आपको सही गंतव्य तक पहुंचाने में मदद करेगा।"
यह बात हमेशा याद रखें कि,
"शेर आगे छलांग मारने के लिए एक कदम पीछे हटाता है,
इसलिए जब जिंदगी आपको पीछे धकेलती है,
तो घबरायें नहीं,
जिंदगी आपको ऊँची छलाँग देने के लिए तैयार है।"
कहां भी गया है कि -
"ज़िन्दगी की तपिश को सहन किजिए जनाब, अक्सर वह पौधे मुरझा जाते हैं जिनकी परवरिश छाया में होती है।"