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सफलता का सबसे बड़ा रहस्य । स्वामी विवेकानंद

सफलता का सबसे बड़ा रहस्य । स्वामी विवेकानंद

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"एक विचार लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो- उसके बारे में सोचो, उसके सपने देख, उस विचार को जियोअपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो, और बाकी सभी विचार को किनारे रख दोयहीं सफल होने का तरीका हैंऔर सफलता का सबसे बड़ा रहस्य भी यहीं हैं"


विवेकानंद वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की और से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत “ मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों ” के साथ करने के लिये जाना जाता है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका मन जीत लिया था। विवेकानंद युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत के रूप में विख्यात हैं।इनके जन्मदिन 12 जनवरी को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। केवल 39 साल की उम्र में युवाओं को सफलताओं का सू़त्र बताने वाले इस अद्भुत व्यक्ति की मृत्यु हो गयी थीं।

प्रेरणा के अपार स्रोत स्वामी विवेकानंद की कहीं एक एक बात हमें ऊर्जा से भर देती है। अपने अल्प जीवन में ही उन्होंने पूरे विश्व पर गहरी छाप छोड़ दी। शिकागो में दिया गया उनका भाषण आज भी लोकप्रिय है और हमें हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का आभास कराता है स्वामी विवेकानंद के विचार मनुष्य निर्माण की प्रक्रिया पर केन्द्रित हैं, न कि महज़ किताबी ज्ञान पर। विचारों का मतलब यह नहीं है कि हमारे मन मस्तिष्क में ऐसी बहुत सी बातें इस तरह भर दी जायँ, जो आपस में, लड़ने लगें और हमारा मस्तिष्क उन्हें जीवन भर में आत्मसमाहित न कर सके। विचारों का उद्देश्य तो मनुष्य के इसी व्यक्तित्व का निर्माण होना चाहिये। परन्तु इसके विपरीत हम केवल बाहर से पालिश करने का ही प्रयत्न करते हैं। यदि भीतर कुछ सार न हो तो बाहरी रंग चढ़ाने से क्या लाभ?

स्वामी विवेकानंद जी का हर शब्द, हर वाक्य, हर कथन, हर विचार, हमे जिंदगी मे मुश्किल परिस्तिथियों में डटे रहने की प्रेरणा देता हैं । स्वामी विवेकानंद जी का संपूर्ण जीवन ही प्रेरणादायक है। हम अगर विवेकानंद जी के विचारों और कथनों पर ही अमल करना शुरू कर दे तो अपनी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकते है।

1. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये।

हम अपनी जिंदगी में बहुत कुछ हासिल करना चाहते है, अपने सपनों को पूरा करना चाहते है पर क्या हम इसके लिए पुख्ता तैयारी भी करते है? इस कथन में हमारे लिए बहुत बड़ा संदेश है- सफलता हासिल करने के लिए लक्ष्य निर्धारण बहुत जरूरी है एक बार लक्ष्य निर्धारित करने के बाद बिना थके और बिना रुके निरंतर आगे बढ़ते हुए ही मंजिल पाई जा सकती है

चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो।

2. हम वो है जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखें की आप क्या सोचते हैं।

शब्द गौण होते हैं। विचार ही है जो रहते है, और दूर तक यात्रा करते हैं। जिंदगी में हमारी सोच बहुत ही मायने रखती है और इसी के अनुसार हम घटनाओं और चीजों को देखते है। हम अपने बारे में और अपने आसपास के लोगों के बारे में जैसे विचार रखते है वैसा ही व्यवहार भी करते है। हमारी सकारात्मक सोच ही हमारी जिंदगी को बेहतर बना सकती है।

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

3. ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं

वह हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है। हमारे मस्तिष्क की यह शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं। जब यह शक्तियां एक जगह केन्द्रित होती हैं तो असंख्य सूर्यो के तेज के रूप में प्रकट होती हैं।

खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं।

4. दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें।

अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे। दिन मे आपके द्वारा निकाला हुआ समय ऐसा हो जब उस समय आप हो और आपके साथ आपके विचार हों। यह वह समय होगा जब आप खुद से बात करेगें उस समय में आपकी आपके स्वयं के साथ मीटिंग होगीं। इस समय आप स्वयं से कुछ प्रश्न पूंछे, क्योंकि सवाल देने वाले भी आप होगें और उत्तर देने वाले भी आप हीं होगें। आपके बारे में आप से ज्यादा और कोई नहीं जानता हैं। आप ही एक व्यक्ति है जो खुद के प्रश्नों का गलत जवाब कभी नहीं देगें।

हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं। विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।

5. लगातार कठोर परिश्रम करना ही आपकी सफलता का साथी है।

इसलिए श्रम को सकारात्मक बनाएं विनाशक नहीं। एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजारों ठोकरें खाने के बाद ही होता है श्रम एक अपराधी भी करता हैं, लेकिन उस समय उसका लक्ष्य सिर्फ किसी को नुकसान पहुंचाना या फिर किसी की जान लेना हीं होता हैं।

6. किसी दिन, जब आपके सामने समस्या न आये तो आप सुनिश्चित हो सकते की आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।

जितना बड़ा लक्ष्य होगा, उतनी ही बड़ी समस्याए भी होगी अगर किसी दिन आपको कोई मुश्किल ही नही आ रही है तो समझ जाईये की आप या तो अपने काम को ठीक ढंग से नही कर रहे है, कुछ न कुछ गलत कर रहे है या कम से ही संतुष्ट हो रहे है जबकि असली सफलता तभी है जब हम हर दिन अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करे।

7. जो तुम सोचते हो वो तुम हो जाओगे।

यदि तुम खुद को कमजोर समझते हो तो कमजोर हो जाओगे | अगर खुद को ताकतवर समझते हो तो ताकतवर हो जाओगे।अगर आपने सोच लिया कि आप काबिल नही है तो आप वाकई में कोई काम नही कर पाएंगे क्योंकि आप नकारात्मक चीजो और कमजोरियों पर ध्यान दे रहे है। अगर आपने सोच लिया कि आप कर सकते है और आपको किसी भी हाल में करना ही है तो आपका आत्मविश्वास बढ़ जाएगा और आप कुछ न कुछ रास्ता निकाल ही लेंगे।

8. जब तक मैं जीवित हूं, तब तक मैं सीख सकता हूं।

वह व्यक्ति या वह समाज जिसके पास सीखने को कुछ भी नहीं है, वह पहले से ही मौत के मूंह में हैं। जब तक व्यक्ति के अंदर कुछ नया सीखने की इच्छा रहती हैं, उसका विकास होता रहता हैं।और कुछ जो नया नहीं सिखते हैं, वह विभिन्न परेशानियों के चलते पतन की और गमन करते हैं।

तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं

9. जीवन में जोखिम लीजिए।

अगर आप जीत जाते हो तो आप नेतृत्व कर सकते है ! अगर आप हार जाते हो तो आप मार्गदर्शन कर सकते है। क्या बिना जोखिम लिए नाम, दौलत, और शोहरत हासिल की जा सकती है ?

आपके पास दुनिया का सबसे बेहतरीन और कीमती वस्तु विचार हो सकती है पर अगर आप क्रिया लेने का जोखिम ही नही लेंगे तो वह विचार किस काम का है? जिंदगी में अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर निकलकर काम करना और जोखिम लेना जरूरी है। अगर आप सफल हो जाते है तो लोगो का,समाज का नेतृत्व कर सकते है ताकि सब सही दिशा में आगे बढ़े अगर आप असफल हो जाते है तो लोगो को गलतियो से बचने की सीख दे सकते है।

ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।

10. हालात कभी बेहतर नही होते; वे जैसे के वैसे ही रहते हैं।

वह हम हैं जो अपने आपको बेहतर बनाते हैं, अपने स्वयं के अन्दर बदलाव लाकर। जिंदगी में कुछ भी स्थिर नही है। रिश्ते बदलते रहते है, हालात बदलते रहते है, समय भी बदलता रहता है और लोग भी बदलते रहते है। हम या तो हालातों से घबराकर अपने कदम पीछे खींच सकते है या संघर्ष करके सफलता की नई इबारत लिख सकते है । हमें खुद को बदलने का निर्णय, खुद को बेहतर बनाने का निर्णय लेना होगा क्योंकि समय या हालात कभी भी अपने आप नही बदलते।     

जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो।                                                                                       

11. हमारे भाग्य के निर्धारक कर्ता हम स्वयं हैं।

हम जो बोते हैं वो काटते हैं,हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं,हवा बह रही है, वो जहाज जिनके पाल खुले हैं, इससे टकराते हैं, और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं, पर जिनके पाल बंधे हैं हवा को नहीं पकड़ पाते हैं,क्या यह हवा की गलती है ? नहींहम खुद अपना भाग्य अपने पुरुषार्थ से बनाते हैं।

12. एक विचार लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो।

उसके बारे में सोचो , उसके सपने देखो , उस विचार को जियो।अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो,और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो। यहीं सफल होने का तरीका हैं। सफलता का सबसे बड़ा रहस्य है किसी एक विचार या किसी एक लक्ष्य को पाने के लिए जी जान से जुट जाना।हम अपने विचारों पर नियंत्रण नही रख पाते और इसलिए किसी चीज पर स्पष्ट ध्यान भी केंद्रित नही कर पाते। जिंदगी में सफल होने के लिए आवश्यक है कि हम प्राथमिकताएं तय करे और अपने सबसे बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर वह अच्छा काम करे जो हमने अभी तक नही किया है अगर हम रास्ते मे आने वाली कठिनाईयों के कारण बार बार अपनी मंजिल ही बदलते रहे तो शायद कभी सफल ही नही हो पाएंगे। जिंदगी में बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए आपको किसी एक ही चीज में पारंगत होना है और बाकी चीजों को कुछ समय के लिए किनारे रख देना है

शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।

13. तुम मुझे पसंद करो या मुझसे नफरत, दोनो ही मेरे पक्ष में हैं।

अगर तुम मुझको पसंद करते हो तो, मैं आपके मस्तिष्क में हूँ,और अगर तुम मुझ से नफरत करते हो,तो मैं आपके मन में हूं। तुम्हें भीतर से जागना होगा कोई तुम्हें सच्चा ज्ञान नहीं दे सकता तुम्हारी आत्मा से बड़ा कोई शिक्षक नहीं है।यहां पर तुम,तुम स्वयं ही हो।

जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।

14. हर काम की तीन अवस्थाएं हैं, उपहास, विरोध, और स्वीकृति।

काम की सफलता के ये 5 सूत्र हैं। आत्मविश्वास, लगातार सीखते रहें, कोई काम मुश्किल नहीं, सत्य के पथ पर चलना, किसी के सामने नहीं झुकाना 

15. खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।

खुद को कभी कम मत समझिए !हम खुद को दूसरों की तुलना में कमजोर समझकर दुनिया का सबसे बड़ी गलती करते है हर इंसान में कोई न कोई विशेष गुण या योग्यता होती ही है और हमे उसी को अपनी ताकत बनानी चाहिए

16. हमे किसी चीज का उपयोग कैसे करना है, यह हम अग्नि के साक्ष्य से निर्धारित कर सकते हैं।

अग्नि का काम ऊष्मा देना है, यह हम पर निर्भर करता है कि हम इसका उपयोग खाना बनाने में करते है अथवा घर जलाने में। क्योकि अगर आप का घर जलता है तो यह आपका दोष है अग्नि का दोष नही है जब अग्नि रूपी हमारी ऊर्जा का उपयोग हम सकारात्मक कार्यो में लगाते हे तो उसका परिणाम भी सकारात्मक रहता हैं, अगर इस ऊर्जा का उपयोग हम गलत रूप में करना शुरू करते है तब यह अग्नि रूपी ऊर्जा विनाशक का कार्य करने लगतीं हैं।

17. यदि हम सोचे की हमने सब कुछ खो दिया अब उससे बुरा और क्या होगा।

परन्तु वास्तव में अगर हमने उम्मीद को ही खो दिया जिसके सहारे हम सब कुछ पा सकते थें तो हमने सब कुछ ही खो दिया।

18. मन और दिमाग के टकराव में मन की सुनो।

जिंदगी में कई मौके ऐसे भी आते है जब हम ही तय नही कर पाते कि क्या निर्णय लिया जाए और क्या नही। हमारा दिमाग तर्कों के आधार पर सही या गलत का फैसला लेने की कोशिश करता है जबकि हमारा मन भावनाओं की कसौटी पर चीजों को परखता है। जब आपका मन और दिमाग आपको दुविधा में डाल रहा है और आप सही निर्णय नहीं ले पा रहे है तो आपको अपने मन की आवाज़ सुननी चाहिए। 

19. किसी सत्य को हजार तरिकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर तरिका सत्य ही बताएगा 

ठीक वैसे ही किसी भी सही मंजिल तक पहूंचने के हजारों रास्ते हो सकते है, अगर हम सहीं है तो हम कौनसा भी रास्ता अपनाएं हम सहीं रास्ते को ही पाएगें।

20. संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है, वह यह है कि असंभव से भी आगे निकल जाओं। क्योंकि इस संसार में क्या क्या संभव है इसे जानने का सबसे सरल तरिका है कि वहां पर पहुंच जाओं जहां पर आपके लिए सब कुछ संभव हो जाएगा। क्योंकि आपके अंदर वह सारी शक्तियां विद्यमान है जिसके आधार पर आप यह कह सकते हैकि इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं हैं। क्योंकि जितना कठिन संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी

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“जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं। -स्वामी विवेकानंद


Dr.Nitu  Soni

I am a Ph.D. in Sanskrit and passionate about writing. I have more than 11 years of experience in literature research and writing. Motivational writing, speaking, finding new stories are my main interest. I am also good at teaching and at social outreach.

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