काम करते करते राशि की नजर घड़ी पर गयी। रात के नौ बजने वाले थे। जल्दी से काम खत्म करके वह बाहर ड्राइंग रूम में आकर बैठ गयी। बच्चे अपना कार्टून देख रहे थे। पति उमेश अपने लैपटॉप पर काम कर रहे थे। उसने भी अपना मोबाइल उठाया और अपने कमरे में जाकर मैसेज देखने लगी। आज दिन भर उसे समय ही नहीं मिला वाट्सऐप देखने का। कोरोना की वजह से उसने काम वाली बाई हटा दी थी। जिसके कारण काम का बोझ बढ़ गया था। मैसेज देखते देखते उसे ध्यान आया कि कल वेलेंटाइन-डे है। उसकी सभी सहेलियां रोज़ डे, प्रपोज डे, वेलेंटाइन डे अपने पतियों के साथ सेलिब्रेट करती है और फोटो भी व्हाट्सएप, फेसबुक, पर अपलोड करती है।
उसे भी बहुत क्रेज था वह एक आधुनिक सोच वाली महिला थी। लेकिन उमेश को इन सब में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं थी। उसके पास तो राशि के लिए समय ही नहीं था। गिफ्ट देना तो दूर उसने तो कभी 'आई लव यू' या 'हैप्पी वेलेंटाइन डे' भी नहीं बोला। शादी के पहले साल उसने वैलेंटाइन डे पर बड़ी तैयारी की थी उमेश के लिए गिफ्ट लाई लेकिन उमेश को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं आया। उसने साफ साफ कह दिया था, ये सब उसे बिल्कुल पसंद नहीं है। उसके बाद से उसने कहना ही छोड़ दिया और अब तो 14 साल हो गए शादी को, दो बच्चे भी हैं अब तो उमेश से वेलेंटाइन डे सेलिब्रेशन की उम्मीद करना ही बेकार है। यह सोचते सोचते कब उसकी आंख लग गई पता ही नहीं चला।
सुबह अलार्म की आवाज़ से उसकी आंख खुली। आज तो उमेश को जल्दी जाना था। याद आते ही वह जल्दी जल्दी में उठते हुए रसोई की ओर जाने लगी तभी टेबल से टकरा कर गिर पड़ी। उसकी चीख से उमेश भी जग गया। वह भागा भागा आया, राशि जमीन पर गिरी पड़ी थी। उसने राशि को उठाया और ऊपर बिठाया। राशि को बहुत दर्द हो रहा था। उमेश ने अपनी ही कोलोनी में रहने वाले डाक्टर विवेक को फोन कर घर बुला लिया। राशि के पांव में मोच आ गई थी। डाक्टर ने कम से कम चार पांच दिनों के लिए पूरी तरह से बैंड रैस्ट की हिदायत दी थी। राशि सोच में पड़ गई कि अब सब कैसे होगा। उसे याद आया कि आज तो उमेश को जल्दी जाना था, अभी वह सोच ही रही थी कि उमेश ने कहा- "तुम चिंता मत करो मैंने आफिस फोन कर के दो तीन दिन की छुट्टी ले ली है।"
राशि ने कहा- "पर आज तो आपको जरूरी काम था, जल्दी भी जाना था और आपको तो घर का काम भी नहीं आता।"
बीच में ही टोकते हुए उमेश ने कहा, "तुम चिंता मत करो। तुम्हारी तबियत से बढ़कर कुछ भी नहीं है, मैं सब संभाल लूंगा।" राशि को बहुत दुख भी हो रहा था। उमेश ने जल्दी से सब के लिए नाश्ता तैयार किया। पूरा दिन उमेश घर और बच्चों के कामों में लगा रहा। उसने राशि को बिस्तर से बिल्कुल उठने नहीं दिया। लेटे लेटे वह मोबाइल पर मैसेज देखने लगी। वेलेंटाइन डे के मैसेज भरें पड़े थे। तभी उसे अहसास हुआ कि इस से बढ़कर भला कौन सा गिफ्ट उसके लिए हो सकता है जो आज उमेश ने उसे दिया है। क्या गिफ्ट देना या मुंह से बोलना ही सब कुछ है। एक दूसरे के दुख दर्द को समझना, एक दूसरे की देखभाल करना भी तो प्रेम ही है। उसकी आंखों में आंसू आ गए, वह उमेश को कितना गलत समझती रही। उमेश का कसूर केवल इतना था कि उसका प्रेम को प्रदर्शित करने का तरीका अलग था। वह यह सब सोच ही रहीं थीं कि उमेश सब काम खत्म करके कमरे में आया और राशि को देखते हुए बोला,"अरे एक जरूरी बात तो मैं तुमसे कहना भूल ही गया।" राशि ने आश्चर्य से पूछा, "कौन सी बात।" उमेश ने मुस्कुराते हुए कहा, "हैप्पी वेलेंटाइन डे, चलो एक सैल्फी लें ही लेते हैं। अपने स्टेटस में भी तो लगाना होगा ना।" राशि के आंसू रूक नहीं रहें थे।
"न जाने किसने बनाया ये तोहफे देने का रिवाज़,
गरीब आदमी अब मिलने जुलने से भी डरता है।"
-गुलज़ार
प्रेम की कोई सीमा नहीं होती, प्रेम असीम है, अनंत है। ना ही इसे मापा जा सकता है और ना ही इसे परिभाषाओं में बांधा जा सकता। प्रेम तो अथाह सागर है, विस्तृत है, एक एहसास है। एक निर्झर प्रवाह है। यह एक आत्मीक भाव है। प्रेम की भी अपनी एक गरिमा है। हर किसी का प्रेम को को प्रदर्शित करने का अपना अपना तरीका होता है। अलग-अलग माध्यमों, साधनों से लोग अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। जो आपके मन को अच्छा लगे, जिससे आपको वास्तविक खुशी मिलें और जो आपके लिए सुविधाजनक हो उसी तरह से अपने प्रेम को अभिव्यक्त करें, सेलिब्रेट करें। प्रेम तो सरल एवं सहज है, दूसरों की देखा-देखी में इसे जटिल एवं असहज मत बनाइए। दूसरों से तुलना ना करें। आपकी स्वाभाविकता ही वास्तविक अभिव्यक्ति है। एक दूसरे की परवाह करना, देखभाल करना, सुख दुख में साथ देना, एक दूसरे के प्रति समर्पण और विश्वास का भाव ही प्रेम है। प्रेम की सहजता और सरलता को बनाए रखने में ही प्रेम की सार्थकता है, वास्तविकता है। प्रेम पाने में नहीं समर्पण में है:
"खुसरो बाजी प्रेम की मैं खेलू पीे के संग,
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पी के संग।"