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Miracle of 5 Rupees

Miracle of 5 Rupees

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ज़िंदगी में जब भी सुनहरा मौक़ा मिले उस अवसर को हाथ से जाने ना दो, इस कहानी के माध्यम से ये ही बताना की कोशिश की गई

एक क़स्बे में एक धनाढ्य सेठ रहते थे बड़े ही परोपकारी व पूजा पाठ वाले इंसान थे एक दिन सेठ जी पूजा करके घर की और लोट रहे थे रास्ते में एक भिखारी मिला और सेठ जी से पाँच रुपये माँगे, पता नहीं सेठ जी के क्या मन में आया भिखारी को बोले ठीक हैं तुझे मैं पैसे दूँगा लेकिन मेरी एक शर्त हैं

भिखारी बोला जी क्या शर्त हैं तेरे को मैं पाँच रुपए प्रति दिन के हिसाब से दूँगा, तुझे एक काम करना होगा तुझे प्रतिदिन मंदिर आकार भगवान की पूजा करनी होगी। ये कह कर सेठ जी आगे चल दिए. सेठ जी अपने रास्ते भिखारी अपने रास्ते

अगले दिन जैसे ही सेठ जी मंदिर से बाहर निकले भिखारी सेठ जी का इंतज़ार कर रहा था देखते ही सेठ जी से बोला सेठ जी मुझे आपकी शर्त मंज़ूर हैं समय गुजरता रहा अब तो दोनो मंदिर पर रोज़ाना मिलने लगे सेठ जी को भी लगा भिखारी में कुछ तो बदलाव हैं कुछ तो बदल रहा हैं चलो मेरी शर्त से किसी के जीवन में बदलाव हैं ये सेठ जी मन में सोच रहे थे

महीना हो चला था भिखारी सेठ जी की दुकान पर पहुँच कर सेठ जी के पैरो को छुआ और कहने लगा आपकी एक बात ने मेरे जीवन में बदलाव ला दिया और यह कह कर चल दिया

सेठ जी ने भिखारी को रौका और अपनी शर्त के पैसे लेने को कहा पहले तो मना करने लगा पर सेठ जी बोले नहीं ये तो पैसे तुम्हारी शर्त की जीत कै है, ये तो तुमको लेने पड़ेंगे बड़े अनुरोध करने पर भिखारी ने पैसे लिए

समय गुजरता रहा ऐसे ही शर्त पूरी करता रहा एक दिन भिखारी सेठ जी दुकान पर आया और पैर पकड़ कर बोला आज आप से कुछ माँगने आया हूँ अगर आप अनुमति दे तो सेठ जी बोले हाँ ज़रूर कहो क्या चाहिए सेठ जी मुझे १०,००० रुपये चाहिए सेठ जी पहले तो तोड़ी सी शंका में पड़ गए पर कुछ पल के सोचने के बाद कहा ठीक हैं ये लो १०,००० रुपएभिखारी रुपए लेकर चला गया

समय गुजरता गया सेठ जी को थोड़ी चिंता तो थी पर एक बात से बड़े ही सन्तुष्ट थे की घर में किसी को नहीं पता था तो चिंता सिर्फ़ सेठ जी को थी और इस बात की भी थी चलो आगे आने वाले कई वर्षों के शर्त के पैसे चले गए लेकिन कई बार बिना स्वार्थ के किए गए काम का रिज़ल्ट आशा से कही अधिक होता हैं और हुआ भी वो ही

क़रीब १० साल बाद वो भिखारी सेठ जी दुकान पर आता हैं और सेठ जी के पैरो को छूँ कर सेठ जी के पास बैठ जाता हैं लेकिन सेठ जी पहचान नहीं पाते और पूछते हैं कौन हो मैं पहचान नहीं पाया

सेठ जी मैं वो ही भिखारी जिस से आप ने शर्त रखी थी सेठ जी बोले कितना बदल गया हैं, पहचान में भी नहीं आ रहा हैं और आज कल क्या कर रहे हो? 

भिखारी बोला सब बताऊँगा पर आपको अपने पूरे परिवार के साथ मेरे साथ चलना होगा सेठ जी बोले लेकिन कहा आप चलो तो सही क़रीब दो घंटे सफ़र के बाद एक होटल के सामने गाड़ी रुकती हैं और जो सम्मान सेठ जी का होता हैं सेठ जी समझ नहीं पाते भिखारी सेठ जी को होटल में अंदर ले जाता हैं और होटल की चाबी सोपते हुए बोलता हैं ये आपका ही होटल हैं और इसका नाम भी सेठ जी के नाम पर था सेठ जी के सम्मान में एक सुंदर आयोजन किया गया था 

उस भिखारी ने सब कुछ बताया कैसे मेरी ज़िंदगी इस व्यक्ति ने बदल दी ना मैं मंदिर के सामने सेठ जी से मिलता ना सेठ जी शर्त रखते। परिस्थितियों ने मुझे भिखारी बना दिया था। पर अगले दिन में सेठ जी की शर्त इस लिए मान ली की कि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं हैं, पाने के लिए बहुत कुछ हैं, मेरे पास अवसर आया, और उस अवसर को मैं जान गया। 

इस व्यक्ति को क्या लाभ अपनी जेब से पैसे दे किसी नेक काम के लिए … और मेरे मन में ये बात आईं अवसर ने पुकारा हैं इसको हाथ से जाने नहीं दूँगा और ये भी जानता हूँ मेहनत को कोई विकल्प नहीं हैं मेहनत तो हर काम में करनी होती हैं और की भी और ईश्वर के आशीर्वाद से आज मैं बहुत खुश हूँ इस होटल की चाबी सेठ जी को सोपते हुए आज जो भी हैं सब इनके माध्यमसे सेठ जी ने उसको गले से लगा लिया लेकिन सेठ जी मैं आप से एक बात पूछना चाहता हूँ, आपने क्या सोच कर शर्त रखी थी सेठ जी बोले ये सब कुछ अचानक हो गया मैंने भी नहीं सोचा था उस शर्त का इतना बड़ा सम्मान मुझे और मेरे परिवार को मिलेगा

अंत में एक ही बात समझ में आती हैं आप सच्चे हो अच्छे हो और ईमानदारी से लगन से क़िसी भी काम में लगे हो … अवसर ज़रूर मिलेंगे और सफल भी होंगे

Patience and Passion Count the Fishes.



Piyush Goel (AKA “Mirror Image Man”)

I believe in new creation and imagination, by profession, I am a mechanical engineer but by passion, I am a Motivator, Cartoonist, Local Cricket Umpire, and Mirror Image Writer. I have been working for almost 25 years for various companies. So far I have written 16 Books (from 2003 to 2015) using mirror image writing style.

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