जीवन चल रहा है अनवरत, गतिमय। क्योंकि जितना हम सोचते हैं,हमारा जीवन उससे कहीं अधिक तेजी से आगे निकल रहा है। इस निरंतरता में हम नित नए अनुभव का सामना करते हैं,अनुभव सबसे कठिन शिक्षक है। यह पहले आपकी परीक्षा लेता है और बाद में सबक देता है। और यह अनुभव हमें हमारे जीवन से मिलता है। अनुभवों से ही हमारी आदतों का निर्माण होता है। हम अपना भविष्य बदल नहीं सकते है,लेकिन हम अपनी आदतों को तो जरूर बदल सकते है,और बदली हुई हमारी आदतें ही हमारे भविष्य को भी निश्चित रूप से बदल सकतीं है। जीवन में कोई भी रास्ता अपने आप नही बनता है,हम लोग ही अपना रास्ता खुद बनाते है,इसलिए हम लोग जैसा रास्ता बनाते है,हमें वैसी ही मंजिल मिलती है। रास्ते और निश्चित मंजिल का निर्धारण अनुभव और आदतें करतीं हैं। इसलिए तो हम अपने अनुभव और आदतों में कमियों को दूर करके अपनी खुबियां ढूंढे।
हर व्यक्ति की कुछ अच्छी और बुरी आदतें उसे जीवन में आगे बढ़ने या पीछे करने में और सफलता निर्धारित करने में वहीं आदतें जिम्मेदार होती हैं।
तू अपनी खूबियां ढूंढ,
कमियां निकालने के लिए लोग हैं।
अगर रखना ही है कदम तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिए
लोग हैं।
सपने देखने ही है तो ऊंचे देख,
निचा दिखाने के लिए
लोग हैं।
अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिए
लोग हैं।
अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए
लोग हैं।
प्यार करना है तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिए
लोग है।
रहना है तो बच्चा बनकर रह,
समझदार बनाने के लिए
लोग है।
भरोसा रखना है तो खुद पर रख,
शक करने के लिए
लोग हैं।
तू बस सवार ले खुद को,
आईना दिखाने के लिए
लोग हैं।
खुद की अलग पहचान बना,
भीड़ में चलने के लिए
लोग है।
तू कुछ करके दिखा दुनिया को,
तालियां बजाने के लिए
लोग हैं।
[ कवि- अज्ञात ]
Click here to download this poem as an image