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सकारात्मक दृष्टिकोण ही जीवन की सार्थकता।

सकारात्मक दृष्टिकोण ही जीवन की सार्थकता।

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"जीवन दस प्रतिशत वह है, जो हमारे साथ घटित होता है और नब्बे प्रतिशत वह है कि हम इस पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।".- Lou Holtz

जीवन में आशावादी रहना तथा सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना जीवन को सफल एवं सुखी बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। जीवन कठिनाइयों से भरा है। जीवन में परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं रहती। परिवर्तन जीवन का नियम है। कभी सुख है तो कभी दुख, कभी सफलता तो कभी असफलता, कभी खुशी तो कभी गम है। कठिनाइयां हर व्यक्ति के जीवन में आती है। जीवन इतना आसान नहीं है। जीवन में कठिन, विपरीत परिस्थितियों से घबराकर तनावग्रस्त होना, निराश होना, कुंठित होना समस्या का समाधान नहीं है । यहां तक कि कई बार लोग परिस्थितियों से घबराकर आत्महत्या तक कर लेते हैं। अक्सर ही आजकल समाचार पत्रों में ऐसी खबरें पढ़ने और सुनने को मिलती है। विशेषकर युवाओं में आजकल यह बहुत बढ़ रहा है।

मन बहुत विचलित होता है जब इस तरह परिस्थितियों से हारकर व्यक्ति अपने जीवन को ही समाप्त कर लेता है। स्टीफन हॉकिंग ने लिखा है , "चाहे जीवन कितना भी मुश्किल क्यों न लगे, हमेशा कुछ ऐसा होता है जो आप कर सकते हैं और सफल हो सकते हैं।" इसलिए आशावादी दृष्टिकोण रखना बहुत जरूरी है। जब व्यक्ति चारों ओर से निराशा के घने अंधकार में घिरा हो तो एक आशा ही है जो उसका सबसे बड़ा सहारा बनती है। आशा व्यक्ति में नई ऊर्जा को जन्म देती है। कठिन परिस्थितियों में सामना करने, मुकाबला करने की हिम्मत देती है। व्यक्ति में आत्मविश्वास उत्पन्न करती है। कहावत भी है कि 'उम्मीद पर दुनिया कायम है।' जीवन को पूर्णता से जीना चाहिए। कुछ वर्षों पहले मैंने एक कहानी पढ़ी थी जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया।

यह कहानी कहानीकार उमाकांत की प्रसिद्ध कहानी है- ' जिंदगी और जोंक' संक्षिप्त में कहानी कुछ इस प्रकार है - 

रजुआ नाम का एक पात्र है, जो आर्थिक बदहाली के कारण अपना गांव छोड़कर शहर में लेखक के मोहल्ले में रहने आता है। आते ही पहले तो उसे चोर समझकर मोहल्ले में पीटा जाता है हालांकि यह बाद में साबित हो जाता है कि उसने चोरी नहीं की। मार खाने के बावजूद भी वह उसी मोहल्ले में रहने लगता है। वह शरीर से भी बहुत दुबला और शक्तिहीन है। बहुत अधिक मेहनत वाला काम नहीं कर सकता था इसलिए किसी ने स्थायी रूप से उसे नौकरी पर नहीं रखा। मोहल्ले में किसी न किसी का छोटा मोटा काम करता और बदले में बासी रोटी, चावल कुछ मिल जाता। वहीं मोहल्ले में ही किसी के घर के बाहर रात गुजार लेता। एक बार उसे हैजा हो गया, ऐसे में लोग उसे अपने घर के आसपास भी फटकने नहीं देते थे। मरणासन्न स्थिति हो गई थी उसकी। एक खंडहर में पड़ा दिन गुजारता था। बड़ी मुश्किल से वह ठीक हुआ तो उसी खुजली का रोग हो गया। ऐसे में और भी लोग उसे दुत्कारने लगे। उसकी हालत बद से बदतर हो रही थी। एक दिन एक लड़का पोस्ट कार्ड लेकर लेखक के पास आया और कहा कि रजुआ की मृत्यु हो गई है, जो उसके रिश्तेदारों को पत्र लिखकर सूचित कर दें। यह खबर चारों तरफ आग की तरह फैल गई। सबको रजुआ की मृत्यु का बहुत अफसोस हुआ। कुछ दिनों पश्चात अचानक रजुआ लेखक के पास आता है, अपने रिश्तेदार को उसके जीवित होने की खबर लिखवाने के लिए। लेखक उसे देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है। लेखक को आश्चर्य में देखकर रजुआ कहता है कि, "सरकार, मेरे सर पर एक कौवा बैठ गया था जो कि बहुत अशुभ होता है उससे मौत आ जाती है अगर मौत वाली झूठी खबर रिश्तेदारों में फैला दें तो मौत टल जाती है। लेखक को सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ। रजुआ के चेहरे पर मौत की भीषण छाया मंडरा रही थी पर वह जिंदगी से जोंक की तरह चिपका था।

वह बेसहारा, दुर्बल,अनेक बीमारियों से ग्रस्त भीख मांगकर जीवन चलाने वाला है। उसके जीवन में न कोई रस है ना ही कोई उमंग है फिर भी विषम परिस्थितियों में भी जीवन के प्रति उसमें निराशा की भावना नहीं है बल्कि जीवन के प्रति आस्था की प्रवृत्ति दिखाई देती है। मृत्यु से जुझते हुए उसकी जीने की लालसा कम नहीं होती।वह जीवित रहना चाहता है।

यही आशावान दृष्टि जीवन के प्रति होनी चाहिए। यह कहानी प्रेरित करती है जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखने की। जीने की ललक होनी चाहिए। आत्महत्या कोई समाधान नहीं है। अच्छे अंक नहीं आए, अच्छी नौकरी नहीं मिली, प्रेम में धोखा मिला जैसी विपरीत परिस्थितियां, समस्याएं तो जीवन में आती रहती है। जब तक जीवन है ,तब तक संघर्ष चलता रहेगा। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसके जीवन में दुख, कठिनाइयां या रुकावटें नहीं आई हो। मैक्सिम लाग्से ने लिखा है, "चुनौतियां, विफलता, हार और आखिरकार प्रगति आपके जीवन को सार्थक बनाती है।" असफल होना गलत नहीं है, निराश होना गलत है। जीवन में आशा कभी न छोड़े। जिंदा रहेंगे तो अनेक विकल्प मिलेंगे। जिंदगी बहुत किमती है। यह ईश्वर का दिया हुआ अनमोल उपहार है। परिस्थितियों से घबराकर, निराश होकर गलत कदम उठाने में कोई समझदारी नहीं है। विपरीत परिस्थितियों का सामना वही कर सकते है जो सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।

"जीवन अनिवार्य रूप से समस्याओं की एक अंतहीन श्रृंखला है। एक समस्या का समाधान केवल अगले समस्या का निर्माण है। समस्याओं के बिना जीवन की उम्मीद मत करो। ऐसा कुछ होता ही नहीं है, इसके बजाय अच्छी समस्याओं से भरे जीवन की आशा करें ।"

-मार्क मैनसन

परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन हो, अपने अंदर उम्मीद और सकारात्मकता को समाप्त ना होने दें। आशा के विपरीत जब कोई कार्य होता है तो विचलित होने की बजाय धैर्य रखें, स्थिति को स्वीकार करें। जीवन को भाग दौड़ में बिताने की आवश्यकता नहीं है, कैसी भी परिस्थितियां हो जीवन को आनंद, धैर्य, आशावान और सकारात्मक भाव के साथ संपूर्णता से पूरा करें।

"अब तक की सबसे बड़ी खोज यह है कि कोई व्यक्ति अपना दृष्टिकोण बदलकर अपना भविष्य बदल सकता है।"

-ओपेरा विनफ्रे

तेज हवाओं में उड़ते हैं जो उन परिंदों के पर नही, हौंसलें मजबूत होते हैं


Dr Rinku Sukhwal

M.A. (Political Science, Hindi), M.Ed., NET, Ph.D. (Education) Teaching Experience about 10 years (School & B.Ed. College) Writing is my hobby.

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