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मैं वही हूँ

मैं वही हूँ

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समझ से परे फिर भी समझने में आसान।। मैं वही हूँ।।

बिंदु स्वरुप फिर भी अनंत समान।। 

निराकार स्वरुप फिर भी हर स्वरुप में विद्यमान।।

काम से परे फिर भी काम रखता हूँ संज्ञान।।

न स्त्री हूँ न पुरुष फिर भी हर शरीर में मैं विद्द्यमान।। मैं वही हूँ।।


सृष्टि का प्रारम्भ मैं, मैं ही प्रलय समान।। मैं वही हूँ।।

मैं अविचल, मैं निर्मल, मैं शाश्वत, मैं सत्य का ज्ञान।।

मैं सूर्य का तेज़, मैं चंद्र सा शीतल, मैं पवन का वेग, मुझसे से ही जल होता गतिमान।।

कलरव मैं, क्रंदन मैं, मैं सिंह की हुंकार, मैं ही वो ओमकार !!

मैं ही प्रणवाक्षर नाद सृष्टि में रहता गुंजायमान।। मैं वही हूँ।। 


मुझे न मान चिंता।।। न मेरा हो सकता अपमान।। मैं वही हूँ।। 

मुझे दुःख का बोध नहीं।। मैं तो हूँ सद्चिदानन्द जिसे कहते हो तुम भगवान

मैं हूँ इस विश्व मैं।।। फिर भी विश्व से पृथक है मेरी पहचान

परिभषित न कर सके ज्ञानी मुझे।। वेद नेति नेति कहकर करते मेरा बखान

तुम में मैं।।। मुझमे में तुम।।। मैं हूँ सर्वा शक्तिमान ।। मैं ब्रह्मा हूँ वही परब्रह्मा हूँ।। 


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Tushar Dubey

एक आवाज़ हूँ!!!!!!! तुम्हे जगाने आया हूँ

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